Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिन जीवों को जैसा कर्म इस संसार से पहिले प्राचार्यों ने कहा है उन जीवों का वैसा ही कर्म और जन्म-मरण का भी कर्म हम आप सबसे कहेंगे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(इह) इस संसार में (येषां भूतानाम्) जिन मनुष्यों का - वर्णंगत मनुष्यों का (यादृशं कर्म) जैसा कर्म (कीर्तितम्) वेदों में कहा है (तत्) उसे (तथा) वैसे ही (१।८७-९१) (च) और (जन्मनि) उत्पन्न होने में (क्रमयोगम्) जीवों का जो एक निश्चित प्रकार रहता है , उसे (वः) आप लोगों को (अभिधास्यामि) कहूँगा ।