Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
न कन्यायाः पिता विद्वान्गृह्णीयाच्छुल्कं अण्वपि ।गृह्णञ् शुल्कं हि लोभेन स्यान्नरोऽपत्यविक्रयी 3/51

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
कन्या का पिता तनिक भी शुल्क (बदला, मुआवजा) न लेवे। लोभ से कुछ भी शुल्क ग्रहण करने वाला कन्या का विक्रय करने वाला कहलाता है।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
द्रव्य-ग्रहण के देाष को जानने वाला कन्या का पिता किंचित् मात्र भी शुल्क न लेवे। क्योंकि लोभ से धन ग्रहण करने पर मनुष्य संतान का बेचने वाला होता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(न) न (कन्यायाः पिता) कन्या का पिता (विद्वान्) विद्वान् (गृह्णीयात्) लेवें (शुल्कम्) धन (अणु अपि) थोड़ा भी। (गृह्णन् शुल्कंहि) धन लेता हुआ (लोभेन) लोभ से (स्यात्) होवे (नरः) आदमी (अपत्यविक्रयी) सन्तान को बेचने वाला। कन्या के पिता को कुछ भी धन न लेना चाहिये। यदि लेगा तो उसको सन्तान बेचने का दोष लगेगा।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS