Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
अनिन्दितैः स्त्रीविवाहैरनिन्द्या भवति प्रजा ।निन्दितैर्निन्दिता नॄणां तस्मान्निन्द्यान्विवर्जयेत् 3/42

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
(1) अनिन्दित विवाह से अनिन्दित सन्तान उत्पन्न होती है। (2) निन्दित विवाह से निन्दित सन्तान होती है। इस हेतु निन्दित विवाह सदैव वर्जित हैं।
टिप्पणी :
1-निर्दोषी, 2-दूषिता, 3-रजोदर्शन अर्थात् मासिक धर्म के
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
श्रेष्ठ विवाहों से सन्तान भी श्रेष्ठगुण वाली होती है निन्दित विवाहों से मनुष्यों की सन्तानें भी निन्दनीय कर्म करने वाली होती हैं इसलिए निन्दित विवाहों को आचरण में न लावे । इसलिए मनुष्यों को योग्य है कि जिन निन्दित विवाहों से नीच प्रजा होती है उनका त्याग और जिन उत्तम विवाहों से उत्तमप्रजा होती है, उनको किया करें । (सं० वि० विवाह सं०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यतः, उत्तम स्त्रीविवाहों (ब्राह्म आदि प्रारम्भ के चार) से मनुष्य की उत्तम सन्तान उत्पन्न होती है और नीच स्त्रीविवाहों (आसुर आदि अन्त के चार) से नीच। अतः, नीच स्त्रीविवाहों का परित्याग करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(अनिन्दितैः स्त्री विवाहैः) धर्मयुक्त विवाहों से (अनिन्द्या भवति प्रज्ञा) सन्तान भी धर्मशील होती है। (निन्दितैर्निन्दिता नृणाम्) मनुष्यों में दूषित विवाहों से दूषित संतान होती है। (तस्मात्) इसलिये (निद्यान्) दूषित विवाहों को (विवर्जयेत्) न करे।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS