Manu Smriti
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चतुर्णां अपि वर्णानं प्रेत्य चेह हिताहितान् ।अष्टाविमान्समासेन स्त्रीविवाहान्निबोधत 3/20

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इहलोक और परलोक में चारों वर्णों का हिताहित करने वाले आठ प्रकार के विवाह हैं। इसको हमसे सुनिये। यह बात भृगुजी कहते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
चारों वर्णों -ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और वैश्यों के परलोक में और इहलोक में हित करने वाले तथा अहित करने वाले इन आठ प्रकार के स्त्रियों के साथ होने वाले विवाहों को संक्षेप से जानो सुनो ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
चारों वर्णों के परलोक और इहलोक के लिए अच्छे और बुरे आठ प्रकार के इन नीचे लिखे विवाहों को संक्षेप से सुनिए-
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(चतुर्णाम् अपि वर्णानाम्) चारों वर्णों के (प्रेत्य च इह) परलोक और इस लोक में (हित + अहितान्) हित करने वाले तथा अहित करने वाले (अष्टौ इमान्) इन आठों (समासेन) संक्षेप से (स्त्री विवाहान्) विवाहों को (निबोधत) जानिये।
टिप्पणी :
अर्थात् अब उन आठ विवाहों का वर्णन किया जाता है जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र के लिये इस लोक और परलोक में हितकर तथा हानिकारक हैं।
 
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