Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस कुल में वेदोक्त संस्कार तथा नित्यकर्म न होते हों, जिस कुल में केवल स्त्रियाँ ही स्त्रियाँ हों पुरुष न हों, जिस कुल में पुरुषों के शरीर पर अधिक लोभ हो, जिस कुल में वेदपाठ न होता हो, जिस कुल में क्षयी, अपरमार, कुष्ठ, मृगी, अग्निमाद्य आदि शारीरिक दूषित रोग हो, यदि ऐसे कुल धनी भी हों तो उनमें विवाह न करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
वे देश कुल ये हैं - एक - जिस कुल में उत्तम क्रिया न हो दूसरा - जिस कुल में कोई भी उत्तम पुरूष न हो तीसरा - जिस कुल में कोई विद्वान् न हो चैथा - जिस कुल में शरीर के ऊपर बड़े - बड़े लोम हों, पांचवां - जिस कुल में बवासीर छठा - जिस कुल में क्षयी रोग हो सातवां - जिस कुल में अग्निमन्दता से आमाशय रोग हो आठवां - जिस कुलमें मृगी रोग हो नववां - जिस कुल में श्वेतकुष्ठ और दशवां - जिस कुल में गलितकुष्ठ आदि रोग हों उन कुलों की कन्या अथवा उन कुलों के पुरूषों से विवाह कभी न करे ।
(सं० वि० विवाह सं०)
टिप्पणी :
‘‘जो कुल सत्क्रिया से हीन, सत्पुरूषों से रहित वेदाध्ययन से विमुख, शरीर पर बड़े - बड़े लोम अथवा बवासीर, क्षयी, दमा, खांसी अमाशय, मिरगी श्वेतकुष्ठ और गलितकुष्ठयुक्त कुलों की कन्या वा वर के साथ विवाह होना न चाहिये क्यों कि ये सब दुर्गुण और रोग विवाह करने वाले के कुल में भी प्रविष्ट हो जाते हैं । इसलिये उत्तम कुल के लड़के और लड़कियों का आपस में विवाह होना चाहिए ।’’
(स० प्र० चतुर्थ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
(१) जो कुल सत्क्रिया से नही हो। (२) जो कुल सत्पुरुषों से रहित हो। (३) जो कुल अध्ययन से विमुख हो। (४) जिस कुल में शरीर के ऊपर बड़े-बड़े लाभ हों। (५) जिस कुल में बवासीर हो। (६) जिस कुल में तपेदिक का रोग हो। (७) जिस कुल में अग्निमन्दता से दमा खांसी आदि आमाशय रोग हो। (८) जिस कुल में मृगी हो। (९) जिस कुल में श्वेत कुष्ठ हो। (१०) और, जिस कुल में गलित कुष्ठ हो। अतः, ऐसे कुलों की कन्या और ऐसे कुलों के पुरुषों से विवाह कभी न करें।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(हीन क्रियम्) 1-जो कुल सत्क्रिया से हीन हो (निष्पुरुषम्) 2-सत् पुरुषों से रहित हो (निः छन्दः) 3-वेदाध्ययनम् से विमुख हो, (गेमश + अर्शसम्) 4-बड़े रोम वाला या 5-बवासीर (च्पसमे) का रोगी। (क्षयी) 6- क्षयी रोग अर्थात् तपेदिक वाला (आमयावी) 7-जिसकी पाचन शक्ति कमजोर हो (अपरमारि) 8-मिर्गी वाला (श्वित्रि) 9-सफेद दागों वाला (कुष्ठि कुलानि च) 10-और कोढ़ वाले कुलों को।
टिप्पणी :
जिन कुलों में अधिकतर ऊपर के रोग पाये जायँ उन कुलों में विवाह न करें। क्योंकि इससे प्रकट होता है कि अधिक लोग के रोगी होने के कारण अवश्य ही कुल में कोई न कोई बुराई है।