Manu Smriti
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महान्त्यपि समृद्धानि गोऽजाविधनधान्यतः ।स्त्रीसंबन्धे दशैतानि कुलानि परिवर्जयेत् 3/6

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यद्यपि गऊ, बकरी, धन धान्यादि की बहुलता (अधिकता) हो तथापि जो दश कुल, जिन्हें आगे कहेंगे, वर्जित किये हैं उनमें स्त्री सम्बन्ध (विवाह) कदापि न करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
विवाह में नीचे लिखे हुए दश कुल चाहे वे गाय आदि पशु, धन और धान्य से कितने ही बड़े हों उन कुलों की कन्या के साथ विवाह न करे । (सं० वि० विवाह सं०)
टिप्पणी :
बकरी भेड.......................... ‘‘चाहे कितने ही धन, धान्य, गाय, अजा, हाथी, घोड़े, राज्य, श्री, आदि से समृद्ध ये कुल हों तो भी विवाह - सम्बन्ध में निम्नलिखित दश कुलों का त्याग कर दे ।’’ (स० प्र० चतुर्थ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
गाय बकरी भेड़ आदि पशु और धन धान्य से चाहे ये नीचे लिखे दश कुल कितने ही अधिक समृद्ध क्यों न हों, तो भी विवाह सम्बन्ध में उनका परित्याग करदे-
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(महान्ति अपि समृद्धानि गो + अजा + अवि + धन + धान्यतः) गौ, बकरी, भेड़, धन, धान्य, आदि के युक्त बहुत धनाढय और बड़े कुल में क्यों न हों (स्त्री सम्बन्धे दश एतानि कुलानि परिवर्जयेत्) विवाह सम्बन्ध करने में इन दस कुलों को छोड़ देना चाहिये।
 
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