Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
आचार्ये तु खलु प्रेते गुरुपुत्रे गुणान्विते ।गुरुदारे सपिण्डे वा गुरुवद्वृत्तिं आचरेत् ।2/247
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
गुरु की मृत्यु के पश्चात् यदि गुरुपुत्र विद्वान् वा गुणवान् हों और गुरु पत्नी व उसके दूसरे कुल के अन्य विद्वानों को भी गुरुतुल्य जानता रहे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. आचार्ये तु खलु प्रेते आचार्य की यदि मृत्यु हो जाये तो गुणान्वित् गुरूपत्रे गुणवान् गुरूपुत्र में गुरूदारे गुरूपत्नी में वा अथवा सपिण्डे गुरू के वश वाले योग्य व्यक्ति में वृत्तिम् दक्षिणा देने के कत्र्तव्य को गुरूवत् गुरू के समान आचरेत् करे अर्थात् गुरू की मृत्यु हो जाने पर उक्त व्यक्तियों का गुरू के स्थान की दक्षिणा दे दे ।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS