Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि विपत्ति आ पड़े तो ब्राह्मण क्षत्रिय आदि से पढ़े और जब तक पढ़े तब तक उस गुरु का अनुगामी रहे और सेवा करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
आपत्काले आपत्ति काल में अब्राह्मणात् अब्राह्मण अर्थात् क्षत्रिय आदि से भी अध्ययनम् विद्या ग्रहण करना विधीयते विहित है यावत् अध्ययनम् शिष्य जब तक पढ़े तब तक गुरोः अनुव्रज्या च शुश्रूषा गुरू की आज्ञा का पालन और सेवा करे ।