Manu Smriti
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स्वभाव एष नारीणां नराणां इह दूषणम् ।अतोऽर्थान्न प्रमाद्यन्ति प्रमदासु विपश्चितः ।2/213

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
मनुष्यों को दोष लगाना स्त्रियों का स्वभाव है इस हेतु पण्डित जनों को स्त्रियों से चैतन्य रहना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
इह इस संसार में एषः स्वभावः यह स्वाभाविक ही है कि नारीणां नराणां दूषणम् स्त्री पुरूषों का परस्पर के संसर्ग से दूषण हो जाता है - दोष लग जाता है अतः अर्थात् इस कारण से विपश्चितः बुद्धिमान् व्यक्ति प्रमदासु स्त्रियों के साथ व्यवहारों में न प्रमाद्यन्ति कभी असावधानी नहीं करते ।
 
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