Manu Smriti
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गुरुपत्नी तु युवतिर्नाभिवाद्येह पादयोः ।पूर्णविंशतिवर्षेण गुणदोषौ विजानता ।2/212

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो शिष्य पूर्ण 20 वर्ष की आयु वाला और गुण दोषों का ज्ञाता हो वह युवा गुरु पत्नी के पाँव पकड़ कर प्रणाम न करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. पूर्णविंशतिवर्षेण जिसके बीस वर्ष पूर्ण हो चुके हैं ऐसे गुण दोषौ विजानता गुण और दोषों को समझने में समर्थ युवक शिष्य को युवतिः गुरूपत्नी तु जवान गुरूपत्नी का पादयोः न अभिवाद्या चरणों का स्पर्श करके अभिवादन नहीं करना चाहिए अर्थात् बिना चरणस्पर्श किये ही उसका अभिवादन करे । उसकी विधि २।१९१ में वर्णित है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
(१५) युवक शिष्य गुणदोष को जानता हुआ युवती गुरु-पत्नी को पैर छूकर प्रणाम न करे।
 
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