Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. गुरूणा चोदितः गुरू के द्वारा प्रेरणा करने पर वा अथवा अप्रचोदितः एव बिना प्रेरणा किये भी ब्रह्मचारी नित्यम् प्रतिदिन अध्ययने पढ़ने में च और आचार्यस्य हितेषु गुरू की हित की बातों में यत्नं कुर्यात् यत्न करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
(८) गुरु से प्रेरित होने पर किंवा प्रेरित न होने पर भी नित्य वेदाध्ययन और आचार्य के प्रियाचरण में यत्नवान् रहे।