Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस प्रकार नपुंसक पुरुष स्त्रियों में और (बांझ) गऊ गऊओं में निष्फल है और जिस प्रकार मूर्ख ब्राह्मण को दान देना निष्फल है उस ही प्रकार कुपढ़ ब्राह्मण निष्फल है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यथा स्त्रीषु षण्ढः अफलः जैसे स्त्रियों में नपुंसक निष्फल है अर्थात् सन्तानरूपी फल को नहीं प्राप्त कर सकता यथा गवि गौः अफला और जैसे गायों में गाय निष्फल है अर्थात् जैसे गाय गाय से सन्तानरूपी फल को नहीं प्राप्त कर सकती च और यथा अज्ञे दानम् अफलम् जैसे अज्ञानी व्यक्ति को दान देना निष्फल होता है तथा वैसे ही अनृचः विप्रः अफलः वेद न पढ़ा हुआ अथवा वेद के पाण्डित्य से रहित ब्राह्मण निष्फल है अर्थात् उसका ब्राह्मणत्व सफल नहीं माना जा सकता क्यों कि वेदाध्ययन ही ब्राह्मण का सबसे प्रधान कर्म है ।