Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्राह्मणों में ज्ञान से ज्येष्ठता है, क्षत्रियों में बल से, वैश्यों से धन से और शूद्रों में आयु से ज्येष्ठता (बड़प्पन) मानी जाती है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. विप्राणां ज्ञानतः ब्राह्मण ज्ञान से क्षत्रियाणां तु वीर्यतः क्षत्रिय बल से वैश्यानां धनधान्यतः वैश्य धन - धान्य से और शूद्राणां जन्मतः एव ज्यैष्ठ्यम् शूद्र जन्म अर्थात् अधिक आयु से वृद्ध बड़ा होता है ।
(स० प्र० दशम समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
ब्राह्मणों का ज्ञान से, क्षत्रियों का बल से, वैश्यों का धनधान्य से और शूद्रों का जन्म से अर्थात् अधिक आयु से बड़प्पन होता है।