Manu Smriti
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अध्यापयां आस पितॄन्शिशुराङ्गिरसः कविः ।पुत्रका इति होवाच ज्ञानेन परिगृह्य तान् ।2/151

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
अंगिरा के बेटे ने अपने चचा को पढ़ाया और बेटा कहा इस कारण से कि वह ज्ञान में बड़ा था।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. इस प्रसंग में एक इतिवृत्त भी है शिशुः आंगिरसः कविः आंगिरस नामक विद्वान् बालक ने पितृन् अपने पिता के समान चाचा आदि पितरों को अध्यापयामास पढ़ाया ज्ञानेन परिगृह्य ज्ञान देने के कारण तान् ‘पुत्रकाः’ इति ह उवाच उनको ‘हे पुत्रो’ इस शब्द से सम्बोधित किया ।
 
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