Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. इस प्रसंग में एक इतिवृत्त भी है शिशुः आंगिरसः कविः आंगिरस नामक विद्वान् बालक ने पितृन् अपने पिता के समान चाचा आदि पितरों को अध्यापयामास पढ़ाया ज्ञानेन परिगृह्य ज्ञान देने के कारण तान् ‘पुत्रकाः’ इति ह उवाच उनको ‘हे पुत्रो’ इस शब्द से सम्बोधित किया ।