Manu Smriti
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अल्पं वा बहु वा यस्य श्रुतस्योपकरोति यः ।तं अपीह गुरुं विद्याच्छ्रुतोपक्रियया तया ।2/149

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
अल्प वा बहुत वेद के पढ़ाने से जो उपकार करता है उसको भी गुरु समझना चाहिए।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यः यस्य जो कोई जिस किसी का श्रुतस्य अल्पं वा बहु उपकरोति विद्या पढ़ाकर थोड़ा या अधिक उपकार करता है तम् अपि इह उसको भी इस संसार में तया श्रुतोपक्रियया उस विद्या पढ़ाने के उपकार को गुरू विद्यात् गुरू समझना चाहिए ।
 
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