Manu Smriti
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एतद्वोऽभिहितं सर्वं निःश्रेयसकरं परम् ।अस्मादप्रच्युतो विप्रः प्राप्नोति परमां गतिम् ।।12/116

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
भृगुजी कहते हैं कि हे ऋषियों आपसे मोक्ष देने वाले धर्म का स्पष्ट वर्णन किया जो ब्राह्मण इस धर्म से पृथक न हो वह मोक्ष की पदवी पाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह (12/83-115) मोक्ष देने वाले सर्वोत्तम कर्मों का विधान तुम ने कहा, विद्वान् द्विज इसको बिना छोड़े पालन करता हुआ उत्तम गति अर्थात् मुक्ति को प्राप्त कर लेता है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यह तुमको मुक्ति देने वाला सम्पूर्ण धर्म बतलाया गया। जो विद्वान् इस धर्म से पतित होता वह परम गति को प्राप्त होता है।
 
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