Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो धर्म के न जानने वाले तमोगुण में पड़े हुये अर्थात् लोभी व क्रोधी पाप को प्रायश्चित बतलाते हैं वह पाप हजार गुना होकर व्यवस्था देने वालों के गले पड़ता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो अविद्यायुक्त, मूर्ख, वेदों के न जानने वाले मनुष्य जिस धर्म को कहें, उसको कभी न मानना चाहिए, क्योंकि जो मूर्खों से कहे हुए धर्म के अनुसार चलते है उनके पीछे सैकड़ो प्रकार के पाप लग जाते है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
तामसी, मूर्ख और बात को न समझने वाले जिसको धर्म बतावें वह पाप सौ गुना बढ़कर बताने वालों के पीछे लग लेता है।