Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद इन तीनों संहिताओं की अर्थ सहित पढ़ने वाले और उनका अर्थ व व्याख्या जानने वाले तीन ब्राह्मण धर्म के संशय का निवारण करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
तथा ऋग्वेदवित्, यजुर्वेदवित् और सामवेदवित् इन तीनों विद्वानों की भी सभा धर्मसंशय अर्थात् सब व्यवहारों के निर्णय के लिए होनी चाहिए ।
टिप्पणी :
’और जिस सभा में ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के जानने वाले तीन सभासद होके व्यवस्था करें, उस सभा की की हुई व्यवस्था का भी कोई उल्लंघन न करे ।’ (स. प्र. षष्ठ समु.)टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
धर्म संशय के निर्णय के लिये त्र्यवरा अर्थात् तीन लोगों की जो सभा बने उसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद का एक-एक जानने वाला हो।