Manu Smriti
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धर्मेणाधिगतो यैस्तु वेदः सपरिबृंहणः ।ते शिष्टा ब्राह्मणा ज्ञेयाः श्रुतिप्रत्यक्षहेतवः ।।12/109

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य धर्मानुसार चारों वेदों का अध्ययन करना है वही श्रेष्ठ ब्राह्मण कहलाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
शिष्ट सब मनुष्य मात्र नहीं होते किन्तु जिन्होंने पूर्ण ब्रह्मचर्य और धर्म से सांगोपांग वेद पढ़े हों, और जो श्रुतिप्रमाण और प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों ही से विधि वा निषेध करने में समर्थ, धार्मिक, परोपकारी हों वे ही शिष्ट पुरुष होते है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
शिष्ट ब्राह्मण“ वे हैं जिन्होंने धर्माचरण करते हुये नियमानुसार वेद को पढ़ा है। उन्हीं को श्रुति का प्रत्यक्ष होता है।
 
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