Manu Smriti
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प्रत्यक्षं चानुमानं च शास्त्रं च विविधागमम् ।त्रयं सुविदितं कार्यं धर्मशुद्धिं अभीप्सता ।।12/105

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
धर्म के सिद्धान्त को जानने के इच्छुक मनुष्य प्रत्यक्ष अनुमान, विविध प्रकार का शब्द शास्त्रों में कहा हुआ इन तीनों प्रमाण को भली भाँति जानें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
धर्म के तत्व को जानने के अभिलाषी मनुष्य को प्रत्यक्ष, अनुमान और विविध वेदमूलक शास्त्र, इन तीनों का अच्छी प्रकार ज्ञान प्राप्त करना चाहिये ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
धर्म-शुद्धि के इच्छुक को तीन प्रसिद्ध कार्य करने चाहिये:- प्रत्यक्ष अनुमान और विविध शास्त्र।
 
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