Manu Smriti
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तपो विद्या च विप्रस्य निःश्रेयसकरं परम् ।तपसा किल्बिषं हन्ति विद्ययामृतं अश्नुते ।।12/104

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
तप (अपना धर्म) विद्या (ब्रह्मज्ञान) यह दोनों ब्राह्मण के मोक्ष का श्रेष्ठ उपाय है क्योंकि तप से पाप का नाश करता है और विद्या से मोक्ष पाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
विप्र के लिए तप-श्रेष्ठव्रतों की साधना, और विद्या=सत्विद्याओं का ज्ञान, ये दोनों उत्तम मोक्ष-साधन है, वह विप्र तप से पापभावना को नष्ट करता है, और सत्यविदयाओं के ज्ञान से अमरता को प्राप्त करता है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
बुद्धिमान के लिये तप और विद्या पर कल्याण कारक हैं, तप से मल दूर होते हैं और विद्या से अमृत या मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
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