Manu Smriti
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कामान्माता पिता चैनं यदुत्पादयतो मिथः ।संभूतिं तस्य तां विद्याद्यद्योनावभिजायते ।2/147

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
माता, पिता, काम वश होकर पुत्र उत्पन्न करते हैं। अतएव उत्पत्ति स्थान हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
माता च पिता यत् एनं मिथः उत्पादयतः माता और पिता जो इस बालक को मिलकर उत्पन्न करते हैं, वह कामात् सन्तान - प्राप्ति की कामना से करते हैं यत् योनौ अभिजायन्ते वह जो माता के गर्भ से उत्पन्न होता है तस्य तां संभूति विद्यात् उसका वह साधारणरूप से जन्म प्रकट होना मात्र है अर्थात् वास्तविक जन्म तो उपनयन में दीक्षित करके आचार्य ही देता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सन्तान की इच्छा से माता पिता परस्पर मिलकर जो बालक को उत्पन्न करते हैं, यह तो उसका सामान्य जन्म है, जिसमें कि वह माता के गर्भाशय में अङ्ग प्रत्यङ्ग को पाता दै।
 
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