Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सत्, रज, तम इन तीनों गुणों से उत्पन्न जो शब्द स्पर्श, रूप, रस, गन्ध है वह सब वेद ही से उत्पन्न हुए हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
शब्द, स्पर्श, रूप, रस और पञ्चम गन्ध, ये उत्पत्ति, गुण और कार्य ज्ञान रूप से वेदों से ही प्रसिद्ध=विज्ञात होते हैं अर्थात् इन तत्वशक्तियों का उत्पत्तिविज्ञान, इनके गुणों का ज्ञान, इनकी उपयोगिता का ज्ञान वेदों से प्राप्त होता है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार