Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो स्मृति वेद के विरुद्ध हैं जिनको स्वार्थियों ने बनाया है वह सब तमोगुण से भरे हुये हैं और निष्फल हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो ग्रन्थ वेदबाह्य, कुत्सित पुरुषों के बनाये, संसार को दुःखसागर में डुबाने वाले है, वे सब निष्फल असत्य अन्धकाररूप इस लोक और परलोक में दुःखदायक है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो स्मृतियाँ वेद-विरुद्ध हैं, या जिनका दृष्टि-कोण खराब है। वे सब निष्फल हैं। मरने के पश्चात् उनसे अधिकारयुक्त योनियाँ मिलती हैं।