Manu Smriti
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सर्वभूतेषु चात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि ।समं पश्यन्नात्मयाजी स्वाराज्यं अधिगच्छति ।।12/91

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सब जीवों में आत्मा को और आत्मा में सब जीवों को समान दृष्टि रखने वाला और परमात्मा की उपासना करने वाला ब्रह्मास्पद को पाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
सब चराचर पदार्थों एवं प्राणियों में परमात्मा की व्यापकता को और परमात्मा में सब पदार्थों एवं प्राणियों के आश्रय को समानभाव से देखता हुआ अर्थात् सर्वत्र परमात्मा की स्थिति का अनुभव कर सर्वदा उसी का ध्यान करता हुआ परमात्मा का उपासक मनुष्य परमात्मसुख अर्थात् मोक्ष को प्राप्त कर लेता है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
सब प्राणियों में परमात्मा को और परमात्मा में सब प्राणियों को समान भाव से देखता हुआ आत्म-यज्ञ का करने वाला स्वराज्य अर्थात् मुक्ति को पाता है।
 
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