Manu Smriti
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असकृद्गर्भवासेषु वासं जन्म च दारुणम् ।बन्धनानि च काष्ठानि परप्रेष्यत्वं एव च ।।12/78
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
बारम्बार माता के गर्भ से उत्पन्न होने के क्लेश को उठाना, प्रायः बन्धन अर्थात् बन्द होना और दुःख का होना और दूसरों की सेवकाई का बोझ उठाते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
 
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