Manu Smriti
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अग्न्याधेयं पाकयज्ञानग्निष्टोमादिकान्मखान् ।यः करोति वृतो यस्य स तस्य र्त्विगिहोच्यते ।2/143

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य अग्निहोत्र कर्म, पाक यज्ञ (अष्टका) श्राद्ध अग्निष्ठोम आदि मखों (यज्ञों) को कराता है वह ऋत्विज कहलाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. यः वृतः जो ब्राह्मण किसी के द्वारा वरण किये जाने पर तस्य उस वरण करने वाले के अग्न्याधेयम् अग्निहोत्र पाकयज्ञान् अष्टमी, अमावस्या, पूर्णिमा आदि विशेष उपलक्ष्यों पर किये जाने वाले यज्ञों को अग्निष्टोमादि कान मखान् और अग्निष्टोम आदि बड़े यज्ञों को करोति कराता है सः तस्य ऋत्विक् उच्यते वह उस वरण करने वाले का ‘ऋत्विक्’ कहलाता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो ब्राह्मण अग्निहोत्रादि होमों (जिन में अग्न्याधान किया जाता है) अष्टकादि पाकयज्ञों और अग्निष्टोमादि महायज्ञों को किसी से वरण किया जाकर करता है, वह उस यजमान का ‘ऋत्विक्’ कहलाता है।
 
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