Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
चारों वेदों का ज्ञाता, सृष्टवुत्पत्ति करने वाला ईश्वरीय कर्म, महान् अव्यक्त निराकार परमात्मा यह सब सतोगुण की उत्तम गति में हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो उत्तम सत्वगुणयुक्त हो के उत्तम कर्म करते है वे ब्रह्मा=सब वेदों का वेत्ता, विश्वसृज=सब सृष्टिक्रम विद्या को जानकर विविध विमानादि यानों को बनाने हारे, धार्मिक, सर्वोत्तम बुद्धियुक्त और अव्यक्त के जन्म और प्रकृतिवशित्व सिद्धि को प्राप्त होते है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार