Manu Smriti
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गन्धर्वा गुह्यका यक्षा विबुधानुचराश्च ये ।तथैवाप्सरसः सर्वा राजसीषूत्तमा गतिः ।।12/47

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
गन्धर्व (गाने वाला और बजाने वाला), गुझक, यज्ञ, अप्सरा (अर्थात् सुन्दर वैश्यायें गाने नाचने वालीं) विद्याधर (शिल्पकार) सब रजोगुण की उत्तम गति का लक्षण जानना।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो उत्तम रजोगुणी है वे गंधर्व=गाने वाले, गुह्यक=वादित्र बजाने वाले, यक्ष=धनाढ्य, विद्वानों के सेवक,और अप्सरा अर्थात् जो उत्तम रूप वाली स्त्री का जन्म पाते है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
 
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