Manu Smriti
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राजानः क्षत्रियाश्चैव राज्ञां चैव पुरोहिताः ।वादयुद्धप्रधानाश्च मध्यमा राजसी गतिः ।।12/46

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
राजा लोग तथा क्षत्रिय और राजा के पुरोहित ओर वाद वा झगड़ा करने वाले यह मध्यम राजस गति है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो मध्यम रजोगुणी होते है वे राजा, क्षत्रियवर्णस्थ, राजाओं के पुरोहित, वाद-विवाद करने वाले-दूत, प्राड्विवाक=वकील, बैरिस्टर, युद्ध-विभाग के अध्यक्ष के जन्म पाते हैं ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
 
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