Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
(दशम अध्याय में कहे हुए) भज्ज, मल्ल और नद तथा शस्त्र से आजीविका वाले मनुष्य और जुआ तथा मद्यपान में आसक्त पुरुष यह रजोगुण का निकृष्ट गति है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो अधम रजोगुणी है वे भल्ला अर्थात् तलवार आदि से मारने वा कुदार आदि से खोदने हारे, मल्ला अर्थात् नौका आदि के चलाने वाले, नट, जो बांस आदि पर कला, कूदना, चढ़ना-उतरना आदि करते हैं, शस्त्रधारी भृत्य और मद्य पीने में आसक्त हों, ऐसे जन्म नीच रजोगुण का फल है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार