Manu Smriti
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हस्तिनश्च तुरङ्गाश्च शूद्रा म्लेच्छाश्च गर्हिताः ।सिंहा व्याघ्रा वराहाश्च मध्यमा तामसी गतिः ।।12/43

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
हाथी, घोड़ा, सुअर, म्लेच्छ, सिंह, बाघ, शूद्र इन सब गतों को तामसी (तमोगुण की) मध्यम गति जानना।
टिप्पणी :
म्लेच्छ उसे कहते हैं जो निकृष्ट पदार्थों का इच्छुक हो व मांस, मदिरा, व्यभिचार का इच्छुक हो।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो मध्यम तमोगुणी हैं वे हाथी, घोड़ा, शूद्र, म्लेच्छ, निन्दित कर्म करने हारे, सिंह, व्याघ्र, वराह अर्थात् सूकर के जन्म को प्राप्त होते हैं ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
 
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