Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
स्थावर (वृक्षों में रहने वाले), कृमि (कीड़े) जो मिल नहीं सकते हैं, कीट, मछली, साँप, पशु, कछुवा, हिरन, इन सब गतों को तामसो जघन्य (नीच) जानना।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो अत्यन्त तमोगुणी हैं वे स्थावर वृक्षादि कृमि, कीट, मत्स्य, सर्प, कच्छप, पशु और मृग के जन्म को प्राप्त होते हैं ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार