Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. यः जो वृत्त्यर्थम् जीविका के लिए वेदस्य एकदेशम् वेद के किसी एक भाग या अंश को अपि वा पुनः वेदांगानि या फिर वेदांगों शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्दशास्त्र और ज्योतिष को अध्यापयति पढ़ाता है सः उपाध्यायः उच्यते वह ‘उपाध्याय’ कहलाता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो वेद के किसी एक भाग या वेदाङ्गों को वृत्ति के लिये पढ़ाता है, वह ‘उपाध्याय’ कहलाता है।