Manu Smriti
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येन यस्तु गुणेनैषां संसरान्प्रतिपद्यते ।तान्समासेन वक्ष्यामि सर्वस्यास्य यथाक्रमम् ।।12/39

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस गुण के कारण जीव जिस नशा को प्राप्त होता है उस सारे संसार की दशा संक्षेप में वर्णन करूँगा।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
’अब जिस-जिस गुण से, जिस-जिस गति को जीव प्राप्त होता है, उस-उस का आगे लिखते हैं—’
टिप्पणी :
इन तीनों गुणों मे जिस गुण से जो मनुष्य जिस सांसारिक गति को प्राप्त करता है उन सबको समस्त संसार के क्रम से, संक्षेप से कहूँगा-टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इनमें से जिस गुण से जीव जिन (संसार) गतियों को प्राप्त होता है उन सब को क्रमशः संक्षेप में कहूँगा।
 
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