Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
तमोगुण का लक्षण काम (अर्थात् सांसारिक वस्तुओं की इच्छा व भोग) है, रजोगुण का लक्षण अर्थ है, सतोगुण का लक्षण धर्म इन तीनों में अन्त का अर्थात् सतोगुण श्रेष्ठ है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
तमोगुण का लक्षण काम, रजोगुण का अर्थसग्रंह की इच्छा, सत्वगुण का लक्षण धर्म-सेवा करना है, परन्तु तमोगुण से रजोगुण और रजोगुण से सत्वगुण श्रेष्ठ है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
तमोगुण का चिह्न है काम-वासना, रजोगुण का धन-वासना, सतोगुण का धर्म में प्रवृत्ति। इनमें से पिछला पहले से श्रेष्ठ है अर्थात् तम से अच्छा रज और रज से अच्छा सत्व ।