Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
लोभ, स्वप्न, स्थिर चित्त न होना, क्रूरता (निर्दयता) नास्तिकता, भविष्य जन्म पर अविश्वास, सदाचार से घृणा, याचना करने का स्वभाव, अहंकार यह सब तमोगुण के चिन्ह हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जब तमोगुण का उदय और दोनों का अन्तर्भाव होता है तब अत्यन्त लोभ अर्थात् सब पापों का मूल बढ़ता, अत्यन्त आलस्य और निद्रा, धैर्य का नाश, क्रूरता का होना, नास्तिक्य अर्थात् वेद और ईश्वर में श्रद्धा का न रहना, भिन्न-भिन्न अन्तःकरण की वृत्ति और एकाग्रता का अभाव और किन्हीं व्यसनों मे फंसना होवे, तब तमोगुण का लक्षण विद्वान को जानने योग्य है ।(स. प्र. नवम समु.)
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
तमोगुण के लक्षण यह हैं:- लोभ, स्वप्न, अधैर्य, क्रूरता, नास्तिकता, वृत्तियों की भिन्नता अर्थात् एकाग्र-मन होना, भिखारीपन, प्रमाद।