Manu Smriti
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त्रयाणां अपि चैतेषां गुणानां यः फलोदयः ।अग्र्यो मध्यो जघन्यश्च तं प्रवक्ष्याम्यशेषतः ।।12/30

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इन तीनों गुणों का फल उत्तम, मध्यम, अधम है, उसका हमने वर्णन किया।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
अब जो इन तीन गुणों का उत्तम, मध्यम और निकृष्ट फलोदय होता है उसको पूर्ण भाव से कहते है । (स. प्र. नवम समु.)
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इन तीन गुणों का जो उत्तम, मध्यम और अधम फल का उदय है उसको पूरा-पूरा कहूँगा ।
 
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