Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इन तीनों गुणों का फल उत्तम, मध्यम, अधम है, उसका हमने वर्णन किया।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
अब जो इन तीन गुणों का उत्तम, मध्यम और निकृष्ट फलोदय होता है उसको पूर्ण भाव से कहते है । (स. प्र. नवम समु.)
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इन तीन गुणों का जो उत्तम, मध्यम और अधम फल का उदय है उसको पूरा-पूरा कहूँगा ।