Manu Smriti
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तेषां तु समावेतानां मान्यौ स्नातकपार्थिवौ ।राजस्नातकयोश्चैव स्नातको नृपमानभाक् ।2/139

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
उपरोक्त मनुष्य राजा को रास्ता देवें और राजा ब्रह्मचारी को आता देखकर रास्ते से हट जावें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. तेषाम् तु उन (२।११३) सब के समवेतानाम् एकत्रित होने पर स्नातक - पार्थिवौ मान्यौ स्नातक और राजा सबके सम्मान के योग्य हैं च और राजस्नातकयोः एव राजा तथा स्नातक में भी स्नातकः स्नातक ही नृपमानभाक् राजा के द्वारा सम्मान पाने योग्य है अर्थात् स्नातक - विद्वान् सबसे अधिक सम्मान का पात्र है ।
 
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