Manu Smriti
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चक्रिणो दशमीस्थस्य रोगिणो भारिणः स्त्रियाः ।स्नातकस्य च राज्ञश्च पन्था देयो वरस्य च ।2/138

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
रथारूढ़, 90 वर्ष से अधिक आयुवाला, रोगी, भार (बोझ) वाला, स्त्री, स्नातक (ब्रह्मचारी) राजा, और वर (दूल्हा) इनमें से कोई एक आता हो तो उसको पथ (रास्ता) दें अर्थात् आप एक ओर हो जावें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. चक्रिणः सवारी अर्थात् रथ, गाड़ी, आदि में बैठे हुए को दशमीस्थस्य दशमी अवस्था वाले अर्थात् नब्बे वर्ष से अधिक आयु वाले को रोगिणः रोगी को भारिणः बोझ उठाये हुए को स्त्रियाः स्त्री को च और स्नातकस्य स्नातक को राज्ञः राजा को च तथा वरस्य दूल्हे को पन्था देयः पहले रास्ता दे देना चाहिए ।
 
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