Manu Smriti
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पञ्चानां त्रिषु वर्णेषु भूयांसि गुणवन्ति च ।यत्र स्युः सोऽत्र मानार्हः शूद्रोऽपि दशमीं गतः ।2/137

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इनमें से जिसके पास पाँच वस्तुओं में से कोई भी वस्तु अधिक हो वही आदरणीय है और 90 वर्ष से अधिक शूद्र भी आदरणीय है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
त्रिषु वर्णेषु तीनों वर्णों में अर्थात् ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों में परस्पर पंच्चानां यत्र भूयांसि गुणवन्ति स्युः उक्त (२।१११) पांच गुणों में से अधिक गुण जिसमें हों अत्र सः मानार्हः समाज में वह कम गुण वालों के द्वारा सम्मान करने योग्य है दशमीं गतः शूद्रः अपि तथा दशमी अवस्था अर्थात् नब्बे वर्ष से अधिक आयु वाला शूद्र भी सब के द्वारा सम्मान देने योग्य है ।
 
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