Manu Smriti
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परपत्नी तु या स्त्री स्यादसंबन्धा च योनितः ।तां ब्रूयाद्भवतीत्येवं सुभगे भगिनीति च ।2/129

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस स्त्री से किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं है उसको सुभगे, भवती, भगिनी कह के पुकारना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. या परपत्नी च योनितः असम्बन्धा स्त्री स्यात् जो कोई दूसरे की पत्नी और योनि से सम्बन्ध न रखने वाली स्त्री अर्थात् बहन आदि न हो तो ताम् उसे ‘भवति’ ‘सुभगे’ इति एवं बू्रयात् ‘भवति!’ आप ‘सुभगे!’ सौभाग्यवति! ‘भगिनी!’ बहन इस प्रकार के शब्दों से सम्बोधित करे ।
 
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