Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
ब्राह्मणं कुशलं पृच्छेत्क्षत्रबन्धुं अनामयम् ।वैश्यं क्षेमं समागम्य शूद्रं आरोग्यं एव च ।2/127

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्राह्मण से कुशल, क्षत्रिय से अनामय, वैश्य से क्षेम और शूद्र से आरोग्यता पूछना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
मिलने पर, नमस्कार के बाद ब्राह्मणं कुशलं पृच्छेत् ब्राह्मण से कुशलता - प्रसन्नता एवं वेदाध्ययन आदि की निर्विघ्नता क्षत्रबन्धुम् अनामयम् क्षत्रिय से बल आदि की दृष्टि से स्वास्थ के विषय में वैश्यं क्षेमम् वैश्य से क्षेम - धन आदि की सुरक्षा और आनन्द के विषय में च और शूद्रम् आरोग्यम् एव शूद्र के स्वस्थता के विषय में पृच्छेत् पूछे । अभिप्राय यह है कि वर्णानुसार उनके मुख्य उद्देश्यसाधक व्यवहारों की निर्विघ्नता के विषय में प्रधानता से पूछे ।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS