Manu Smriti
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अभिवादात्परं विप्रो ज्यायांसं अभिवादयन् ।असौ नामाहं अस्मीति स्वं नाम परिकीर्तयेत् ।2/122

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
प्रणाम करने के पश्चात् वृद्धों से यह कहें कि मैं अमुक नाम का मनुष्य हूँ।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. विप्रः द्विज ज्यायांसम् अभिवादयन् अपने से बड़े को नमस्कार करते हुए अभिवादात् परम् अभिवादनसूचक शब्द के बाद ‘अहं असौ नामा अस्मि’ इति ‘मैं अमुक नाम वाला हूँ’ ऐसा कहते हुए स्वं नाम परिकीत्र्तयेत् अपना नाम बतलाये, जैसे - अभिवादये अहं देववत्तः........................... (शेष विधि २।९९ में है) ।
 
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