Manu Smriti
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अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः ।चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्धर्मो यशो बलम् ।2/121

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य बड़े लोगों को सदैव प्रणाम करता है, उसकी आयु, यश, विद्या और बल चारों की वृद्धि होती है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. अभिवादनशीलस्य अभिवादन करने का जिसका स्वभाव और नित्यं वृद्धोपसेविनः विद्या वा अवस्था में वृद्ध पुरूषों का जो नित्य सेवन करता है तस्य आयुः विद्याः यशः बलं चत्वारि वर्धन्ते उसकी आयु, विद्या, कीत्र्ति और बल, इन चारों की नित्य उन्नति हुआ करती है ।
टिप्पणी :
‘‘जो सदा नम्र सुशील विद्वान् और वृद्धों की सेवा करता है उसका आयु, विद्या, कीत्तिर् और बल ये चार दा बढ़ते’’ । (स० प्र० तृतीय समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
क्योंकि जो शिष्य सदा नम्र सुशील और बड़ों की सेवा करने वाला होता है, उसकी आयु, विद्या, कीर्ति और बल, ये चारों बढ़ते हैं।
 
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