Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
चारों वर्णों के धर्म और आपदधर्म काल का वर्णन करके आगामी अध्याय में प्रायश्चित का वर्ण उचित रीति पर करेंगे जिससे गिरे हुये वर्ण भी फिर अपने सत्यमार्ग पर आ सकें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह चारों वर्णों के व्यक्तियों का सम्पूर्ण धर्मविधान कहा है । इसके बाद अब शुभ प्रायश्चित की विधि को कहूँगा —
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार