Manu Smriti
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आचार्यपुत्रः शुश्रूषुर्ज्ञानदो धार्मिकः शुचिः ।आप्तः शक्तोऽर्थदः साधुः स्वोऽध्याप्या दश धर्मतः ।2/109

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
1-आचार्यपुत्र, 2-सेवक, 3-ज्ञानदाता, 4-धर्म करने वाला, 5-पवित्र रहने वाला, 6-आप्त, 7-सामथ्र्यवान (समर्थ), 8-साधु, 9-धनदाता और 10-त्वजाति वाला यह दस पढ़ाने योग्य हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
आचार्यपुत्रः अपने आचार्य गुरू का पुत्र शुश्रूषुः सेवा करने वाला ज्ञानदः किसी विषय के ज्ञान का देने वाला धार्मिकः धर्मनिष्ठव्यक्ति शुचिः छल - कपट रहित आप्तः घनिष्ठ व्यक्ति शक्तः विद्याग्रहण करने में समर्थ अर्थात् बुद्धिमान् पात्र अर्थदः धन देने वाला साधुः हितैषी स्वः अपने परिवार या सम्बन्ध का दश धर्मतः अध्याप्याः ये दश धर्म से अवश्य पढ़ाने योग्य हैं ।
 
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