Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
वेदों के ज्ञाता ब्राह्मणों यशस्वी गृहस्थियों की सेवा करना ही शूद्र का कल्याणकारक उत्तम धर्म है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
शूद्र का परम कल्याणकारक धर्म यह है कि वेदज्ञ ब्राह्मणों और यशस्वी गृहस्थियों की सेवा किया करे।