Manu Smriti
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विप्राणां वेदविदुषां गृहस्थानां यशस्विनाम् ।शुश्रूषैव तु शूद्रस्य धर्मो नैश्रेयसः परः ।।9/334

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
वेदपाठी व सदाचारी गृहस्थ ब्राह्मणों की सेवा शूद्रों को मोक्ष प्राप्त कराने का सर्वोत्तम साधन है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
वेदों के ज्ञाता ब्राह्मणों यशस्वी गृहस्थियों की सेवा करना ही शूद्र का कल्याणकारक उत्तम धर्म है ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
शूद्र का परम कल्याणकारक धर्म यह है कि वेदज्ञ ब्राह्मणों और यशस्वी गृहस्थियों की सेवा किया करे।
 
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