Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
भृत्यों (नौकरों) का वेतन, बहुप्रकार के मनुष्यों की भाषा धन आदि द्रव्यों के स्थान का योग (उपाय) और क्रय (खरीदना) विक्रय (बेचना) इन सब को जानें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
नौकरों के वेतन, विविध देशों में रहने वाले लोगों की विभिन्न भाषाएँ, वस्तुओं के प्राप्तिस्थान तथा मिश्रण आदि की विधियाँ और खरीद-बिक्री की विधि, इसको जानें ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
नौकरों की नौकरी, भिन्न-भिन्न लोगों की भाषा, (द्रव्याणाम् स्थानयोग) माल को कैसे संभालकर रखना चाहिये और उनको कैसे खरीदना और बेचना चाहिये (यह बातें भी वैश्य को जानना आवश्यक हैं)।