Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(कृतसंस्कारः) यज्ञोपवीतसंस्कार-विधि पूर्ण होने के पश्चात् (समावर्तन के अनन्तर) (वैश्यः) (दारपरिग्रहं कृत्वा) विवाह करके (वात्तीयां च पशूनां रक्षणं नित्युक्तः स्यात्) व्यापार में और पशुपालन में सदा लगा रहे ।
टिप्पणी :
पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार